संसार के मानचित्र पर
अपने मान को, वह
चित्रित करने था निकला
कुछेक राष्ट्र पर, उसके
युद्धक-अश्व का खुर, लगते ही
लगा उसके नाम का ठप्पा
आर्यावर्त के मार्ग में
एक सन्यासी से, वह
सत्ता विन्यासी टकराया
मैं विश्वविजेता सिकन्दर
तू दीन हीन एक नग्न नर
कहकर उपहास उड़ाया
मानचित्र सपाट किन्तु भू गोल
करता रह जायेगा परिक्रमा, हे भोल
धूनी रमाने वाला कहकर मुस्काया।
~#तुषारापात
No comments:
Post a Comment