Wednesday, 19 May 2021

मानचित्र सपाट किन्तु भू गोल

संसार के मानचित्र पर 
अपने मान को, वह 
चित्रित करने था निकला 

कुछेक राष्ट्र पर, उसके
युद्धक-अश्व का खुर, लगते ही
लगा उसके नाम का ठप्पा 

आर्यावर्त के मार्ग में 
एक सन्यासी से, वह
सत्ता विन्यासी टकराया

मैं विश्वविजेता सिकन्दर
तू दीन हीन एक नग्न नर 
कहकर उपहास उड़ाया 

मानचित्र सपाट किन्तु भू गोल
करता रह जायेगा परिक्रमा, हे भोल
धूनी रमाने वाला कहकर मुस्काया।

~#तुषारापात

Monday, 17 May 2021

मूर्खता की बात

मूर्खो का राजा होने के लिये बुद्धिमानी की नहीं, मूर्खता की सबसे बड़ी बात करनी होती है।

~#तुषारापात

Thursday, 13 May 2021

सांख्यिकी

हुक्मरान से पूछा 
इतने बीमार क्यों बढ़े
उत्तर में 
ठीक होने वाली की अधिक संख्या पाई

आसमान से पूछा
कि इतने क्यों मरे
उत्तर में 
जन्म लेने वालों की अधिक संख्या आई

दोनों ही 
माँग से अधिक 
आपूर्ति कर रहे हैं 

मगर माँग क्या थी 
और आपूर्ति क्या हुई
यह सांख्यिकी का नहीं
नीतिशास्त्र का विषय है।

~#तुषारापात

पाँव, नाव, गाँव

एक लहर का जाना 
दूसरी का है आना 
पर्यटक! किनारे पर 
अपने पाँव जमा के रख 

एक चक्रवात की शांति
दूसरे की तोड़ती भ्रांति 
माँझी! बीच समंदर
अपनी नाव बना के रख 

एक का नगर जाना
दूसरे को है बुलाना 
निवासी! ठहरकर 
अपना गाँव बचा के रख 

~#तुषारापात

Tuesday, 11 May 2021

रात की रेल

रात की रेल जब पटरी पर आती है
बेटिकट आँखों की नींद उड़ जाती है 

~#तुषारापात

Monday, 10 May 2021

हैसियत

ज़िंदगी प्रीपेड प्लान बनी है और
साँसों के रिचार्ज हैसियत से बाहर हैं।

~#तुषारापात

जलन

सातों आसमानों में तेरे
रत्ती भर न मिलती थी

चिढ़कर छीन ली तूने
सीने में मेरे, जो
ज़रा सी हवा चलती थी।

~#तुषारापात 

Monday, 3 May 2021

धूपघड़ी

बुरा है बहुत तो भला करिये
बदल जायेगा जान लीजिये 

वक़्त को भी आराम चाहिये
धूप-घड़ी को जरा छाँव करिये

~#तुषारापात