Monday, 31 December 2018

बालिग सदी

आई है शगुन लेकर दिसम्बर के घर जनवरी
रचाओ स्वयंवर बालिग हुई है इक्कीसवीं सदी

#तुषारापात®

Wednesday, 19 December 2018

माथे की दरारों में मिट्टी है

मैं किस्मत,सोने सी करने को,सजदा करता हूँ
मेरे माथे की दरारों में,अब हर दर की,मिट्टी है

~तुषारापात®

Friday, 14 December 2018

त्रिवेणी

छोड़ जाने वालों के नाम बुदबुदाने से
जान बच गई मगर होठ नीले पड़ गए

सांप काटे का अब वो जानता है मंतर

(पहली पंक्ति के साथ तीसरी पंक्ति पढ़िए और दूसरी पंक्ति के साथ तीसरी पंक्ति पढ़िए दो शे'र मिलेंगें बाकी त्रिवेणी तो है ही)
~तुषारापात®

Wednesday, 12 December 2018

आँखों की दावातें

आँखों की दावातें जो न छलकीं थीं तो
क्यूँ गालों से गीली इबारतें मिटा रहा था

#तुषारापात®

मोल

वो चाँदी को ताँबा बना रहा था
सफेद बालों में मेहंदी लगा रहा था

~तुषारापात®

Monday, 10 December 2018

भगवान के कान

नहीं जानते कि क्या है भगवान कहीं
मगर ये तय है कि हमारी ओर उसके कान नहीं

~तुषारापात®

Thursday, 6 December 2018

टर्म्स एंड कंडीशन

ज़िन्दगी कुछ टर्म्स एंड कंडीशंस पे मिली है हमें
आसमाँ पे ये इतने स्टार यूँ ही नहीं लगाए उसने

*कंडीशन अप्लाई
~तुषारापात®