Saturday 9 September 2017

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं
साँसों के तेरे ज़ोर से ज़ुल्फ़ें मेरी सुलझीं

लाल डिब्बे में अब एक हुआ अपना पता
लबों पे मेरे लगा के अपने होठों की मुहर
इश्क की चिट्ठियाँ तूने बदन पे लिक्खीं

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....

धड़कनों के शोर से नहीं जागे हैं ये
उनींदे अरमानों की नींद टूटी है आज
चूड़ियाँ कलाइयों में हैं बार बार खनकीं

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....

कोई खतरे का नहीं है अब नामोंनिशाँ
लाँघ जाऊँ जो तेरे साथ लाज की रेखा
माँग में एक,गाल पे कई लाल रेखाएं हैं चमकीं

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....

सितारे मिलते हैं सितारों से मुश्किल से
मोम के ये टुकड़े आसमाँ में जो चमकते
मन्नतों की शमाएँ हैं जो थीं कभी पिघलीं

उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं
साँसों के तेरे ज़ोर से ज़ुल्फ़ें मेरी सुलझीं

-तुषारापात®

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