नया साल आ गया है आ गया है,कहना कितना सही है मुझे नहीं पता क्योंकि मैं तो इसे अभी पुराने साल में ही लिख रहा हूँ और आप इस लेख को नए साल में पढ़ रहे हैं, कुछ अजीब नहीं लगता? ऐसा नहीं लगता मैं पिछले साल में ही आपको नए साल में ले आया हूँ या यूँ कहें कि जो समय अभी भविष्य में है मतलब जिसका पता ठिकाना ही नहीं उसमें मैं अपने शब्द भेज के अपने लिए आने वाले उस समय को भूतकाल बना चुका हूँ।
नहीं नहीं साहब मैं पागल नहीं कमअक्ल लेखक ही हूँ चलिए इस अजीबोगरीब भूमिका के बाद अब कुछ आगे की बात आपसे करते हैं,मैं दिसम्बर में बैठा हूँ और आप जनवरी में बैठे हैं और अब जरा सा और दिमाग लगाइए मैं अभी ये लिख रहा हूँ तो ये मेरा वर्तमान हुआ और आप इसे अभी पढ़ रहे हैं तो ये आपका वर्तमान है,लेकिन मेरा वर्तमान (इस लेख को लिखना) आपके लिए भूत हुआ और आपका वर्तमान (इसे पढ़ना) मेरे लिए मेरा भविष्य हुआ,हा हा हा खा गए न चक्कर? मेरे दोस्त यही है समय का चक्र और इसी चक्कर को हमें समझना है।
हर बार कैलेंडर बदलता है हर साल साल बदलता है किसी का जनवरी में तो किसी का अप्रैल में किसी पंडित का चैत्र में तो किसी विद्यार्थी का जुलाई में साल बदलता है जन्मदिन पर एक साल बदलता है शादी की सालगिरह पर साल बदलता है आदि आदि, कहने का मतलब है समय के चक्र में सबने अपनी अपनी रंगबिरंगी तीलियाँ लगा दी हैं एक चक्कर पूरा करके जब उनकी पसंदीदा रंगी तीली उनके सामने वापस आ जाती है उनके लिए उनका साल बदल जाता है
पर ये साल बदलने से कुछ होता भी है या हम फालतू में ही इसके आने का जश्न मनाते हैं आपका साल चाहे जिस भी तारीख को बदलता हो पर जब बदलता है तो आपकी सोच बदलती है विकसित होती है अब सोच दो तरह की होती है नकारात्मक और सकारात्मक,हम जश्न मनाते हैं क्योंकि हम सकारात्मक सोचते हैं अब कुछ लोग कहेंगें काहे का जश्न उलटे उम्र से एक साल कम हो गया तो उनसे कहना चाहूँगा कि तो तुम जाने वाले साल के लिए जश्न मनाओ इसलिए मनाओ क्योंकि गए हुए साल में तुम बचे रहे एक साल और जी लिया तुमने
मतलब साफ़ है सदा अपनी सोच को पॉजिटिव बनाए रखना है, ऊपर मैंने इसीलिए जिक्र किया कि मैं ये लेख पुराने साल में लिख रहा हूँ कि नए साल में आप इसे पढ़ेंगे आखिर कौन सी चीज है जो मुझे इतना विश्वास देती है कि ये छपेगा और आप तक पहुँचेगा ही वो एक चीज है उम्मीद एक लेखक की उम्मीद अपने पाठक तक पहुँचने की, बस यही उम्मीद जगाता है आने वाला नया साल, और जब तक उम्मीद है दोस्तों ये दुनिया कायम है।
समय एक पेड़ की तरह है जिसमें फल लगते हैं कुछ नए पत्ते निकलते हैं कुछ पुराने पत्ते गिरते हैं और ये प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है हमारा साल बदलना बस उस समय का एक छोटा सा पल है जिसमें हम हिसाब करते हैं कि कितने पत्ते टूटे कितने नए खिले, टूटे पत्तों पे गम न करो हताश मत हो ये मत सोचो कि हाय कितने फल हम खा न सके बेकार गए बल्कि ये सोचिए कि कितने नए फल उगेंगे जो हमारी झोली में आएंगे, साल हमारी बनाई इकाई है हमें इसे धनात्मक रखना है गया हुआ समय कहीं गया नहीं है वो आप मेंसे किसी बच्चे की लंबाई में बदल गया है तो किसी के बालों की थोड़ी सी सफेदी में कैद है अब ये आप पर है कि आप सफ़ेद बालों पे दुखी हों या फिर शान से कहें कि ये बाल मैंने धूप में सफ़ेद नहीं किये हैं।
अच्छा किसी बरहमन ने आपको बताया कि ये साल अच्छा है?
मैं कहता हूँ कि सबके लिए आने वाला साल अच्छा है जब कुछ अच्छा होता न दिखे तो समय के चक्र में से अपनी रंगीन तीली निकालकर उस जगह के थोड़ा पीछे लगा के उसे बीता साल बना दो और अपना साल बदल लो और फिर कहो ये साल तो अब अच्छा है बस उम्मीद और विश्वास की इस चकर घिन्नी को रुकने नहीं देना है हर साल अच्छा ही होगा।
तो आने वाले इस नए साल के लिए आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं।
(कर्म दर्शन पत्रिका के मेरे कॉलम ऑफ दि रेकॉर्ड के लिए भेजा
है,एडिटर साहब ने मेल पर रिप्लाई किया छपेगा तो जरूर बस आप चरस अच्छी वाली पिया करें :) )
-तुषारापात®™
नहीं नहीं साहब मैं पागल नहीं कमअक्ल लेखक ही हूँ चलिए इस अजीबोगरीब भूमिका के बाद अब कुछ आगे की बात आपसे करते हैं,मैं दिसम्बर में बैठा हूँ और आप जनवरी में बैठे हैं और अब जरा सा और दिमाग लगाइए मैं अभी ये लिख रहा हूँ तो ये मेरा वर्तमान हुआ और आप इसे अभी पढ़ रहे हैं तो ये आपका वर्तमान है,लेकिन मेरा वर्तमान (इस लेख को लिखना) आपके लिए भूत हुआ और आपका वर्तमान (इसे पढ़ना) मेरे लिए मेरा भविष्य हुआ,हा हा हा खा गए न चक्कर? मेरे दोस्त यही है समय का चक्र और इसी चक्कर को हमें समझना है।
हर बार कैलेंडर बदलता है हर साल साल बदलता है किसी का जनवरी में तो किसी का अप्रैल में किसी पंडित का चैत्र में तो किसी विद्यार्थी का जुलाई में साल बदलता है जन्मदिन पर एक साल बदलता है शादी की सालगिरह पर साल बदलता है आदि आदि, कहने का मतलब है समय के चक्र में सबने अपनी अपनी रंगबिरंगी तीलियाँ लगा दी हैं एक चक्कर पूरा करके जब उनकी पसंदीदा रंगी तीली उनके सामने वापस आ जाती है उनके लिए उनका साल बदल जाता है
पर ये साल बदलने से कुछ होता भी है या हम फालतू में ही इसके आने का जश्न मनाते हैं आपका साल चाहे जिस भी तारीख को बदलता हो पर जब बदलता है तो आपकी सोच बदलती है विकसित होती है अब सोच दो तरह की होती है नकारात्मक और सकारात्मक,हम जश्न मनाते हैं क्योंकि हम सकारात्मक सोचते हैं अब कुछ लोग कहेंगें काहे का जश्न उलटे उम्र से एक साल कम हो गया तो उनसे कहना चाहूँगा कि तो तुम जाने वाले साल के लिए जश्न मनाओ इसलिए मनाओ क्योंकि गए हुए साल में तुम बचे रहे एक साल और जी लिया तुमने
मतलब साफ़ है सदा अपनी सोच को पॉजिटिव बनाए रखना है, ऊपर मैंने इसीलिए जिक्र किया कि मैं ये लेख पुराने साल में लिख रहा हूँ कि नए साल में आप इसे पढ़ेंगे आखिर कौन सी चीज है जो मुझे इतना विश्वास देती है कि ये छपेगा और आप तक पहुँचेगा ही वो एक चीज है उम्मीद एक लेखक की उम्मीद अपने पाठक तक पहुँचने की, बस यही उम्मीद जगाता है आने वाला नया साल, और जब तक उम्मीद है दोस्तों ये दुनिया कायम है।
समय एक पेड़ की तरह है जिसमें फल लगते हैं कुछ नए पत्ते निकलते हैं कुछ पुराने पत्ते गिरते हैं और ये प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है हमारा साल बदलना बस उस समय का एक छोटा सा पल है जिसमें हम हिसाब करते हैं कि कितने पत्ते टूटे कितने नए खिले, टूटे पत्तों पे गम न करो हताश मत हो ये मत सोचो कि हाय कितने फल हम खा न सके बेकार गए बल्कि ये सोचिए कि कितने नए फल उगेंगे जो हमारी झोली में आएंगे, साल हमारी बनाई इकाई है हमें इसे धनात्मक रखना है गया हुआ समय कहीं गया नहीं है वो आप मेंसे किसी बच्चे की लंबाई में बदल गया है तो किसी के बालों की थोड़ी सी सफेदी में कैद है अब ये आप पर है कि आप सफ़ेद बालों पे दुखी हों या फिर शान से कहें कि ये बाल मैंने धूप में सफ़ेद नहीं किये हैं।
अच्छा किसी बरहमन ने आपको बताया कि ये साल अच्छा है?
मैं कहता हूँ कि सबके लिए आने वाला साल अच्छा है जब कुछ अच्छा होता न दिखे तो समय के चक्र में से अपनी रंगीन तीली निकालकर उस जगह के थोड़ा पीछे लगा के उसे बीता साल बना दो और अपना साल बदल लो और फिर कहो ये साल तो अब अच्छा है बस उम्मीद और विश्वास की इस चकर घिन्नी को रुकने नहीं देना है हर साल अच्छा ही होगा।
तो आने वाले इस नए साल के लिए आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं।
(कर्म दर्शन पत्रिका के मेरे कॉलम ऑफ दि रेकॉर्ड के लिए भेजा
है,एडिटर साहब ने मेल पर रिप्लाई किया छपेगा तो जरूर बस आप चरस अच्छी वाली पिया करें :) )
-तुषारापात®™
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