रोटी
सन सत्तर का
टेलीविजन है
ब्लैक एंड व्हाइट, मगर
सबकी पहुँच में नहीं
मैलखोरु
कम्बल की तरह
भूख का काला रंग
पसरकर, सफेद टाइल्स के
फुटपाथ पे धब्बा लगाता है
गोरी चिट्टी रोटी
काली नज़र से
बचने को, बेझिझक
सजा लेती है, मगर
खुद पे काली चित्तियाँ
गेहुएँ रंग के तानों से
तंग आकर, गेहूँ
डाल देता है
अपना सर चक्की में
बन निकलता, उजला आटा
गोरा होते ही
उजली हो जाती है
उसकी कीमत
माँगता है उजला आटा
ए सी का उथला पसीना
गहरा पसीना
बहाने वाला
होता है, हमेशा
काला आदमी ही
रोटी, उसे
फेयर एंड लवली
लगाने नहीं देती
सन सत्तर के
इस टेलीविजन में
गोरा बनाने वाला
कोई विज्ञापन नहीं।
~#तुषारापात
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