Wednesday, 22 January 2020

आये तुम याद मुझे...

आए तुम याद मुझे, गाने लगी हर धड़कन
ख़ुशबू लाई पवन, महका चंदन

कुछ पल यादों के चाक घुमायें 
कुछ पल तन की मिट्टी पिघलायें 
और दिल बन जाये खाली बर्तन 
आए तुम याद मुझे...गाने लगी हर धड़कन

जब मैं शामों के पन्ने सिलती हूँ 
और तेरे बोलों को फिरसे बुनती हूँ 
लगे मुझे हर लम्हा तेरी कतरन 
आए तुम याद मुझे...गाने लगी हर धड़कन

नदिया से जैसे धरती कटती है 
तिल तिल वैसे ही कोई मरती है
करदे अब तो तू उसका तर्पण 
आए तुम याद मुझे...गाने लगी हर धड़कन..

~तुषार सिंह #तुषारापात®

Thursday, 16 January 2020

चराग़ तले अंधेरा

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटायेगा 
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
~वसीम बरेलवी

सफेदपोशों की होती काली परछाइयाँ 
चराग़ तले अँधेरा खामखाँ नहीं होता 

~तुषारापात  #तुषारापात®

Wednesday, 15 January 2020

सौंदर्य किस पंक्ति में?

मुझे
अच्छा लगता है 
ऐसी कविताएं लिखना 
जिनमें 
पूरी कविता का सौंदर्य
उतर के आये, उभर के आये
अंतिम पंक्ति में,किंतु 
प्रकाशक माँगता है
मुझसे 
प्रथम पंक्ति में ही
काव्य का सारा सौंदर्य 
लोग 
मुख का तेज देखकर ही 
पैर छूने को झुकते हैं।

~तुषार सिंह #तुषारापात®

Wednesday, 1 January 2020

घड़ी की कुंडली

घड़ी के ठुमकते
तीन काँटें
कुंडली में नाचते
नौ ग्रह
बता देते हैं कि
तुम्हारे
बारह बजे हैं
या तुम्हारी
पौ बारह है।

~तुषारापात