तेज बारिश में भीग तो नहीं रहा पर खिड़की से बारिश होते देख रहा हूँ, स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ऐसा लग रहा है आसमान से हजारों तार फेंककर कोई धरती पे टाँक रहा है, हर तार जब धरती से जुड़ता है तो टप की एक आवाज़ आती है और ये आवाज़ नहीं टप टप की असंख्य आवाज़ें हैं मानों निद्रा के सारे घोड़े, आँखों के अस्तबल से पलकों की रस्सियाँ तोड़ के भाग रहे हैं पर किस ओर..किसकी आँखों में?
टप टप की इन्हीं आवाज़ों के बीच बिजली कड़कने की बहुत तेज आवाज़ आ रही है, कोई महामानव धरती को विशाल सितार बना के गीत शुरू करने से पहले अपना गला बार बार खंकार रहा है पर कौन? जानने को ऊपर देखता हूँ तो मुझपे अपनी टॉर्च की तेज रोशनी मारके वो मेरी आँखें चौंधिया देता है और जोर से अपना गला खंकारता है।
मैं ऊपर देखना छोड़ के जल्दी से उसके द्वारा गाया जाने वाला गीत लिखने का सोचता हूँ पर यह क्या?
मेरी डायरी बारिश में भीग रही है और कलम नृत्य करते हुए फुसफुसा के कहता है "शsssश...देव शयन पर जाने वाले हैं और स्वयं को लोरी सुनाने वाले हैं।"
#तुषारापात®
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