Monday, 17 September 2018

भगवा हरा

रात के हरे ज़ख्मों पे
भगवा सूरज मरहम लगाता है
दिन सेकुलर हो जाता है

शाम को
तेरी यादों का नमक लेकर
चाँद दंगा कराता है।

~तुषारापात®

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