Sunday, 11 March 2018

गुलाबी इतवार

दिले नादां,बचपने वाला ढूँढता है क्यूँ,अब तो तेरी जवानी है
इतवार की लाली उड़ गई तो क्या,रंगत अब इसकी गुलाबी है

वक्त की धूप,जिंदगी के रंग फीके कर गई,ये आम कहानी है

~तुषारापात®

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