Monday, 18 December 2017

ख़तों की राख से इश्क़ दफ़ना दिया है मैंने

मैं था बेवफा सबसे ये कहला दिया है मैंने
तुम्हारे हक़ में काम ये पहला किया है मैंने

नाम अब भी आता है तुम्हारा लबों पे मगर
दीवार के कानों को अब समझा दिया है मैंने

कि तुम्हारा कोई भी नामोनिशां न बाकी रहे
ख़तों की राख से इश्क़ दफ़ना दिया है मैंने

जाने तुम मनाओ न मनाओ मौत के बाद की रस्में
जीते जी अपना तेरहवीं दसवाँ करवा दिया है मैंने

ऐसा भी नहीं कि हाथ अपना सीने तक न पहुँचे
जरा सी बात थी दिल को बहला दिया है मैंने

धड़कने जब जब तेरे नाम पे तेज हुईं हैं 'तुषार'
काँधे के एक बालिश्त नीचे सहला दिया है मैंने

-तुषारापात®

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