Sunday 16 July 2017

लम्हों की फसल

किसी की जुदाई का दिन कुछ पलों को उसमें बो गया
न काटी गईं रातों के लम्हों की फसल लहलहा रही है
खबर पक्की है उसकी नई किताब जल्द आ रही है।
#तुषारापात®

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