"नहीं नहीं...रहने दीजिये...मेरे बजट से ओवर है..रोज पहनने के हिसाब से
काफी महंगी हैं" उसने अपने मन को मारते हुए तनिष्क की सेल्स गर्ल से कहा
उसकी आँखों में उन चूड़ियों के लिए चमक थी पर बटुए में उतनी खनक नहीं थी,एक फोन कॉल निपटा के कॉउंटर की तरफ वापस आते हुए मैंने ये सुना,देखा और सब समझ गया
"अरे क्या हुआ..तुम्हें तो इतनी ज्यादा पसंद आई थीं..ये चूड़ियाँ..कितने की हैं ? मैंने आधी बात उससे की और आधी सेल्स गर्ल से दोनों चूड़ियाँ लगभग छीनते हुए कही, सेल्स गर्ल कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल उठी
"रहने दो..न..अपने बजट से और 36 हजार महंगी है..इतना महंगा लेकर क्या करना" उसकी बात में यथार्थ सपनों को दबा रहा था, मैंने कुछ नहीं कहा बस वो चूड़ियाँ उसकी कलाइयों में पहना दी
"अरे मगर..सुनो तो...हमारे पास चूड़ियों पे खर्च करने के लिए बस 50 हजार का ही बजट है..हमने तय किया था न.." दुविधा में पड़ी वो सकुचाहट से बोली
"कोई नहीं... नया टैबलेट लेने के आईडिया को थोड़ा आगे शिफ्ट कर देते हैं..उसका बजट इसमें मिला देते हैं" मैंने उससे कहा और सेल्स गर्ल को चूड़ियों पे लगा टैग देते हुये बिलिंग के लिए कह दिया
"पर..तुम पिछले तीन साल से वही पुराना टैबलेट चला रहे हो..हैंग भी तो कितना होता है..." उसने मेरा पुराना टैबलेट मेरे हाथ से लेकर दिखाते हुए कहा
"पिछले दो साल से..तुम्हारी कलाइयाँ भी..बगैर सोने के सूनी देखी हैं मैंने...बेंटेक्स की चूड़ियों पे तुम्हें सहेलियों के सामने झिझकते देखा है" थोड़ी भावुकता आ गई थी मेरी आवाज में
"तो अब तुम्हारे ऑफिस के काम..इम्पॉर्टेंड इमेल्स..और फेसबुक व्हाट्सऐप कैसे चलेंगे..." ऐसा लगा अगर तनिष्क का शोरूम न होता तो वो ख़ुशी से चूम लेती मुझे
"ईमेल और फेसबुक के...हजारो नोटिफिकेशन्स की टिंग से...कहीं ज्यादा ख़ुशी...तुम्हारी कलाइयों में पड़ी इन दो चूड़ियों की खनक देगी मुझे"
-तुषारापात®™
उसकी आँखों में उन चूड़ियों के लिए चमक थी पर बटुए में उतनी खनक नहीं थी,एक फोन कॉल निपटा के कॉउंटर की तरफ वापस आते हुए मैंने ये सुना,देखा और सब समझ गया
"अरे क्या हुआ..तुम्हें तो इतनी ज्यादा पसंद आई थीं..ये चूड़ियाँ..कितने की हैं ? मैंने आधी बात उससे की और आधी सेल्स गर्ल से दोनों चूड़ियाँ लगभग छीनते हुए कही, सेल्स गर्ल कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल उठी
"रहने दो..न..अपने बजट से और 36 हजार महंगी है..इतना महंगा लेकर क्या करना" उसकी बात में यथार्थ सपनों को दबा रहा था, मैंने कुछ नहीं कहा बस वो चूड़ियाँ उसकी कलाइयों में पहना दी
"अरे मगर..सुनो तो...हमारे पास चूड़ियों पे खर्च करने के लिए बस 50 हजार का ही बजट है..हमने तय किया था न.." दुविधा में पड़ी वो सकुचाहट से बोली
"कोई नहीं... नया टैबलेट लेने के आईडिया को थोड़ा आगे शिफ्ट कर देते हैं..उसका बजट इसमें मिला देते हैं" मैंने उससे कहा और सेल्स गर्ल को चूड़ियों पे लगा टैग देते हुये बिलिंग के लिए कह दिया
"पर..तुम पिछले तीन साल से वही पुराना टैबलेट चला रहे हो..हैंग भी तो कितना होता है..." उसने मेरा पुराना टैबलेट मेरे हाथ से लेकर दिखाते हुए कहा
"पिछले दो साल से..तुम्हारी कलाइयाँ भी..बगैर सोने के सूनी देखी हैं मैंने...बेंटेक्स की चूड़ियों पे तुम्हें सहेलियों के सामने झिझकते देखा है" थोड़ी भावुकता आ गई थी मेरी आवाज में
"तो अब तुम्हारे ऑफिस के काम..इम्पॉर्टेंड इमेल्स..और फेसबुक व्हाट्सऐप कैसे चलेंगे..." ऐसा लगा अगर तनिष्क का शोरूम न होता तो वो ख़ुशी से चूम लेती मुझे
"ईमेल और फेसबुक के...हजारो नोटिफिकेशन्स की टिंग से...कहीं ज्यादा ख़ुशी...तुम्हारी कलाइयों में पड़ी इन दो चूड़ियों की खनक देगी मुझे"
-तुषारापात®™
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