तुमने कभी कहा था मुझसे -
"यूँ तो तुम
नहीं जानते मुझे
एक रिश्ता है तो हमारे बीच
एक बार कुछ लिख के
कलम छिड़की थी तुमने
स्याही की गिरी एक बूँद
जो आवारा रह गयी
वही हूँ मैं
तुम्हारे किसी ख़त का
कोई लफ्ज़ न हो सकी
किसी कलाम में छपती
तो मुकाम पा जाती
बस एक
आखिरी तमन्ना पूरी कर दो
तुम्हारे होठों पे एक नुक़्ता बनके ठहरना चाहती हूँ"
कुछ बोल नहीं पाया था तुमसे उस दिन
बस इतना कहना था-
"तुम्हारी
आखिरी तमन्ना वाले दिन के बाद से ही
मेरी ठोड़ी पे एक काला तिल इठलाने लगा है"
- तुषारापात®™
© tusharapaat.blogspot.com
"यूँ तो तुम
नहीं जानते मुझे
एक रिश्ता है तो हमारे बीच
एक बार कुछ लिख के
कलम छिड़की थी तुमने
स्याही की गिरी एक बूँद
जो आवारा रह गयी
वही हूँ मैं
तुम्हारे किसी ख़त का
कोई लफ्ज़ न हो सकी
किसी कलाम में छपती
तो मुकाम पा जाती
बस एक
आखिरी तमन्ना पूरी कर दो
तुम्हारे होठों पे एक नुक़्ता बनके ठहरना चाहती हूँ"
कुछ बोल नहीं पाया था तुमसे उस दिन
बस इतना कहना था-
"तुम्हारी
आखिरी तमन्ना वाले दिन के बाद से ही
मेरी ठोड़ी पे एक काला तिल इठलाने लगा है"
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