Tuesday 29 September 2015

पिज्जा

जोर की भूख में
पहला दूसरा टुकड़ा
फटाफट खत्म होता है
तीसरा टुकड़ा भी
धीरे धीरे किसी तरह टूँग ही लेता हूँ
पर चौथा न खाया जाता है न फेंका
प्लेट में पड़ा पड़ा
ख़राब हुआ करता है
तुम्हारे बिन
सुबह दोपहर शाम और रात
दिन के मेरे ये चार हिस्से
मानो उसी
लार्ज पिज्जे के चार टुकड़े हों ।

-तुषारापात®™
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