Thursday 6 August 2015

राधे माँ भी कभी बहु थी

हिन्दुओं क्या हो गया है तुम्हें ? अपनी 5000 साल परम्परा और महान संस्कृति की बागडौर किसे सौंप रहे हो तुम? कभी राधे माँ जैसी (जो माँ शब्द का बलात्कार कर रही है) तो कभी कोई शराब व्यवसायी जो आध्यात्म और धर्म से कोसों दूर हैं महामंडलेश्वर बनते जा रहे हैं
क्या अब ऐसे लोग हिंदुत्व को आगे लेकर जाएंगे ?
धर्म की पताका धन से खरीदी जा रही है और बड़े बड़े शंकराचार्य इसपे मौन हैं उनकी चुप्पी मैं समझ सकता हूँ क्योंकि उन्हें अपनी सत्ता और प्रभाव के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता है वो क्यों कर इसका विरोध करेंगे कहीं न कहीं ढके छुपे इनका समर्थन ही हैं उनके लिए पर तुम्हें क्या हो गया है तुम इतने सोये हुए कैसे हो सकते हो?
कभी किसी कथा वाचने वाले ढोंगी को तुम संत बना देते हो तो कभी किसी संसारी माया के लोभी को बड़े बड़े आश्रम बनवा देते हो क्या तुम्हारे वेद पुराण पिछले 5000 सालों में तुममें इतनी भी बुद्धि नहीं दे सके कि तुम ढोंगियों और संत में अंतर कर पाओ नहीं इसका कारण है कि तुमने खुद अपने धर्म को अपने भीतर सुप्त कर दिया है तुम खुद माया के लोभी होकर अपनी छोटी छोटी संसारी इच्छाओं की पूर्ती के लिए इन सबका समर्थन करते आ रहे हो और तुम्हारी यही क्षुद्र कामनाएं तुम्हारा पतन कर रहीं हैं धर्म के नाम पे बस तुम्हारे पास धर्मग्रंथो की घिसी पिटी पंक्तियाँ हैं जो तुम एक दूसरे को सुना सुना कर खुश हो रहे हो पर अपने आचरण से धर्म को विलुप्त करते जा रहे हो
सनातन धर्म को खतरा किसी बाहरी कारक से नहीं बल्कि ऐसे ही अधार्मिक और कलंकित रंगे सियारों से है जो तुम्हारे अघोषित नेता बनते जा रहे हैं संसार में चारों ओर जग हंसाई हो रही है हमारे महान धर्म को ढोंग और पाखण्ड कहा जा रहा है और हमारे छवि एक लोभी अंधविश्वासी की बनती जा रही है अगर समय रहते नहीं चेते तो ये धर्म की गंगा बहुत जल्दी एक बदबूदार नाले में बदल जायेगी और इसके उत्तरदायी तुम्हारी ये चुप्पी होगी।
जितने कट्टर हिन्दू शेर/लोमड़ी/चीते हैं अक्सर देखता हूँ कि दूसरे मजहब को आतंक से बहुत जोर शोर से जोड़ते हैं और उनकी कड़ी निंदा करते हैं पर हिंदुत्व में घुस आये इन आतंकवादियों को लेकर चुप्पी क्यों है हाँ ये राधे माँ आशाराम जैसे लोग हिंदुत्व के आतंकवादी हैं इन्हें कुचल दो वरना बहुत देर हो जायेगी और इन्हें कुचलने के लिए कोई हथियार उठाने की जरूरत नहीं है बस अपने आचरण में धर्म को स्थापित करो और इन जैसे पाखण्डियों से धर्म का झंडा लेकर स्वयं फहराओ।
जाग जाओ इससे पहले की ये तुम्हारा धर्म भी बेच दें और तुम किसी और मजहब के शरणार्थी बन के रह जाओ।

-तुषारापात®™

No comments:

Post a Comment