Wednesday 22 July 2015

रात के शहंशाह

दिन के खण्डहर से
शाम,छुड़ा लाइ है रात का महल
नींद के मुजरे पे,ख्वाब लुटाए जायेंगे
कई एक रात के शहंशाह
सुबह तक फिर खाली हाथ
अपने खण्डहर के चौकीदार हो जायँगे

-तुषारापात®™

No comments:

Post a Comment