दिन के खण्डहर से
शाम,छुड़ा लाइ है रात का महल
नींद के मुजरे पे,ख्वाब लुटाए जायेंगे
कई एक रात के शहंशाह
सुबह तक फिर खाली हाथ
अपने खण्डहर के चौकीदार हो जायँगे
-तुषारापात®™
शाम,छुड़ा लाइ है रात का महल
नींद के मुजरे पे,ख्वाब लुटाए जायेंगे
कई एक रात के शहंशाह
सुबह तक फिर खाली हाथ
अपने खण्डहर के चौकीदार हो जायँगे
-तुषारापात®™
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