बनी थी कायनात जब
सितारे और इंसान बराबर थे
ज़मीं पे फिर कुछ दरिंदे हुए
वो इन्सां मारते गए
फलक पे सितारे बढ़ते गए
कभी कभी टूटता है कोई तारा
कयामत का दिन
ख़ुदा को याद दिलाने को ।
-तुषारापात®™
सितारे और इंसान बराबर थे
ज़मीं पे फिर कुछ दरिंदे हुए
वो इन्सां मारते गए
फलक पे सितारे बढ़ते गए
कभी कभी टूटता है कोई तारा
कयामत का दिन
ख़ुदा को याद दिलाने को ।
-तुषारापात®™
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