कुछ पीले पत्तों के
कहने में आकर
दरख्त ने अपने ही
एक हरे पत्ते को शाख से गिरा दिया
हरा पत्ता उसके पैरों में पड़ा
रोता रहा गिड़गिड़ाता रहा
पर शाख जिसकी न हो उसकी सुनता कौन है
हरे पत्ते ने भी ठान लिया
तपस्या की
खुद को गला कर
खाद बनकर मिट्टी के रस्ते दरख्त में जा मिला
और
फूल बनकर उस दरख्त की कारगुजारी को महका दिया
-तुषारापात®™कहने में आकर
दरख्त ने अपने ही
एक हरे पत्ते को शाख से गिरा दिया
हरा पत्ता उसके पैरों में पड़ा
रोता रहा गिड़गिड़ाता रहा
पर शाख जिसकी न हो उसकी सुनता कौन है
हरे पत्ते ने भी ठान लिया
तपस्या की
खुद को गला कर
खाद बनकर मिट्टी के रस्ते दरख्त में जा मिला
और
फूल बनकर उस दरख्त की कारगुजारी को महका दिया
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