Saturday 30 March 2019

रात का सरकना

जैसे जैसे रात सरकती जाती है
मेरी डायरी में छुपती छपती जाती है
पन्नों से सफेदी को खिसका के
धीरे धीरे सुबह को रिहा करती जाती है

~तुषारापात®