Sunday 17 June 2018

आँसू और पसीना

पिता की आँखों मे कभी कभी दिखती है
उनकी कमीजों में हमेशा नमी दिखती है

~तुषारापात®

Sunday 10 June 2018

भीगी मुस्कान

पलकों के बाँधों में बंधी रहती है
आँख की नहर भीतर बहती है

लब खिंचे रहते हैं कानों तक
शाम के कहकहे सुबह सहती है

~तुषारापात®

Thursday 7 June 2018

गर्मी की छुट्टियाँ

लाइक और कमेंट के इन नंबरों में-

नानी का 'एक' घर

बेलाइट की 'दो'पहर

खड़ी 'चार'पाई की रेल

'तीन' दो 'पाँच' का खेल

लूडो का पौ 'छह',कैरम की क्वीन

निन्यानबे पे डराता वो साँप बगैर बीन

'सात' पत्थरों का गिट्टी फोड़

माँ का बेफिक्री से पड़ोस में हमें देना छोड़

पहेलियों पे एक दूसरे से हारी मनवाना

मामा की लाई हुई नई कॉमिक्स चुराना

छोटे से कमरे में 'आठ' 'दस' लोगों का साथ

सब 'नौ' दो 'ग्यारह' हो गए कहाँ ले बैठे पुरानी बात।

~तुषारापात®

Wednesday 6 June 2018

ख़ुदा के पास जाना है?

एक कदम पे है एक ख़ुदा का घर और दूसरे कदम पे दूजा
रास्ता भटक गईं हैं मंजिलें मुसाफिर चादर तान के सो जा

~तुषारापात®

Sunday 3 June 2018

जादू

हैट से खरगोश निकालने से कहीं बढ़कर जादू, मायके गई बीवी का अपने पर्स में मोबाइल ढूँढकर पति की कॉल उठाना है।

~तुषारापात®